रविवार, 2 जनवरी 2011

नमाज



भीग जाते दिल ये हैं

तेरे रहमसे जब खुदा

लफ्ज जो उस वक्त आते

पत्थरभी है पसीज जाते

घुटने जमिंपे टिकाते

तेरे आगे सर झुकाते

हम तेरा गुणगान करते

तेरी रहमत है सुनाते

क्या कहें उस हालमें हम

खुद हमारे नहीं रहते

परवरदिगार तेरी ये बातें

थकते नहीं हम कहते कहते

जिक्र तेरे नामका

मालिक हमारे हम जो सुनते

आँखोंसे आँसु छलकते

प्यारका इजहार करते

पालता जहाँको तू है

शुक्रिया हम तुझसे कहते


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