जिनको अपनाना चाहा
वो लोग तेरे हो न सके
चल फिर इक बार मुसाफिर
नयी मंजिल तलाश ले
न तेरा दर्द समझते हैं
न तेरा प्यार समझते हैं
यह हार कुबूल कर ले
नयी मंजिल तलाश ले
तू छटपटाता रहेगा
ये लोग मुस्कुराते रहेंगे
दुश्मनी कुबूल कर ले
नयी मंजिल तलाश ले
तेरी नाकामीको अपनी
जीत समझकर खुश होंगे
साफ़ दिल पहचान न सकेंगे
नयी मंजिल तलाश ले
मुफ्तमें कौन किसीका
भला क्यूँ चाहता है यूँ
तुझपर उंगलियाँ उठायेंगे
नयी मंजिल तलाश ले