सोमवार, 17 जनवरी 2011

करीब



बेटा, इतना बुरा बर्ताव मुझसे मत कर.

पास आ, एक तूही है जिस के छुनेसे,
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मेरे कलेजेपर बँधा बाँध टूट सकता है.

मुझे बहुत दर्द हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि

मेरा कलेजा अब फट जाएगा.

मेरी सुखी हुई आँखें तेरा इंतज़ार कर रही है

कि शायद अब तू आ जाए

और इन आँखोंसे बरसात हो जाए.

मेरे बेटे, जुल्म मत कर.

मेरे पास आ ताकि मैं रो सकूँ.

पूरी दुनियाभी मेरे कलेजेपर रखे

पत्थरोंको पिघला नहीं सकती.

आ बेटा, ताकि मेरे सीनेपरसे

यह बोझ हल्का हो जाए.

मुझे मालुम है कि मेरे आँसुओंसे

तुझे तकलीफ होती है.

मगर बेटा, आँसुओंसे यूँ नफरत मत कर.

अगर तू मेरे पास नहीं आया

तो न जाने कबतक मेरी आँखे

सुखकर पत्थर बनी रहेगी

क्योंकि तुझमें जो करिश्मा है

वह किसी औरमें नहीं है.

तू मुझे खुदसेभी ज्यादा अजीज है.

क्या कहूँ, तू मुझे खुदासेभी ज्यादा करीब है.
अल्लाह
कलेजेको मेरे मिली आज ठंडक
बेटा मुझे आज तू मिलने आया
देखा तुझे मैं गले मिल लिया
कहता नहीं फिर भी मैं शुक्रिया
अपनोंसे ऐसी नहीं कहते बातें
अहसान तूने नहीं कुछ किया
तू मेरा था मेरा है मेरा रहेगा
मुझे आज तूने बहुत खुश किया