शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

दिव्यता




कौवोंकी दावत तो
मृत मांसकी है
चकोर चाहता है
चाँदनी खाना

उबार ले भगवन
इंसान यूँ जीता है

तेरे बिना जैसे है
नरक जीना

भगवन तू सबका
साँसोंका सहारा
तुझबिन गुजारा
जीवन सूना

इंसान विषयोंकी
गंदगीमें धँसा है
अवसादमें फँसा है
ईश्वर बिना

भगवनकी दिव्यता
सबकी जरुरत है
मौतसे बदतर है
जिंदगी वर्ना


राम कृष्ण हरि

सांगा कुमुददलाचेनि ताटे 
जे जेविले चंद्रकिरण चोखटे
ते चकोर काय वाळूवन्टे    
चुंबितु आहाती 

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

तड़प






नाथ मेरे तू चाहता मुझको
पंड्ये काझी चाहते नहीं
क्या करूँ तुझसे मीलनका मुझको
उपाय कोई बताता नहीं

ना जाने कितने दिन गुजरे
जैसे सदियाँ बीत गयी
तू मुझको मैं तेरे मीलनको
तरसते हैं कुछ करते नहीं

तू तो कुछ भी कर सकता है
तड़प मेरी क्या जाने ना
मेरी खातिर कुछ तो कर ले
पहरा तू क्यूँ हटाता नहीं

मेरी ताकत धीरे धीरे
कम अब होती जा रही है
बादमें शायद पास मैं तेरे
ना सकूँ तू जानता नहीं

वो क्या समझे निरे अनाडी
क्या पाता मैं तुझसे मिलके
और तूभी क्यूँ खुश होता है
वो पगले कुछ समझते नहीं

मिले समाधि तुझे मैं पाऊँ
त्यागके सब तेरा हो जाऊँ
यही आरजू यही तमन्ना
और मैं कुछ अब चाहता नहीं

।। राम कृष्ण मुखे बोलातुका जातो वैकुंठाला ।।


गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

तू








यहाँ तूही तू है दिखे मुझे
मेरा टूटा सारा गरूर है

मेरे दिलकी तूही है आरजू
मेरे दिलका यह कसूर है

मेरे दिलकी तूही है हर ख़ुशी
मेरे दिलपे तेरा सरुर है

मुझे तुझसे कोई गिला नहीं
तेरा मुझपे
साया जरुर है

इसी वक्त तू चले ज़रा
मेरा दिल बहुत मजबूर है


तुझे
मिलने मैं हूँ खडा यहाँ
तेरे गम में दिल मेरा चूर है



खुश रहो बच्चों हमेशा
पासही मैं हूँ तुम्हारे
खुदको ना कमजोर समझो
राम तुम हो मेरे प्यारे


EASTER SUNDAY 24 APR. 2011 DEATH OF SHRI SATYA SAIBABA
*


शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

जानवर








भेड़, बकरी, गाय, बैल, भैंस आदि सामाजिक जानवर है [ जिनके दो नाख़ून, दो सिंग होते है और जिनका पेट चलते वक्त जमीं से दूर रहता है और जो इन्सानोंके सहारे और साथमें रहते है ]

उनका खानेके लिये क़त्ल मत करो, उनसे अत्यधिक श्रम मत करवाओ,
उनके साथ बेरहमीसे पेश मत आओ [उनका खून मत पीओ ]

वो
जानवर शांत होते है, शाकाहारी होते है, सामाजिक होते है ,घुलमिल कर रहते है, औरोंके काम आते है; उनका दूध पीओ, उनकी ऊन का कपड़ा बनाओ, उनसे खेतीबाडीके काम करवाओ, माल ढोनेकेलिये, गाड़ियां खींचने के लिये इस्तेमाल करो और उनके गुण ग्रहण करो [ उनको (उनके गुणोंको) खाओ ]

मेरा खुदका अनुभव है की पशु पक्षी तथा जीव जन्तुओंमें भी भगवान प्रगट होते हैं और मेरे साथ वार्तालाप करते हैं, मैं जब नामस्मरणमें मग्न रहता हूँ तब चींटियाँ, मछ्छर काटते नहीं, कुत्ते शांत होते हैं, पंछी रास्ता दिखाते हैं; ऐसी बहुतसी बातें हैं जिससे मुझे समझता है की यह भगवानजी उनमें प्रगट होकर लीला कर रहे हैं [पशु पक्षी तथा जीव जन्तुओंसे, सभीसे प्यार करो और प्यार पाओ ]

महावीर जयंतिकी हार्दिक बधाईयाँ

णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहुणं
*
अहिंसा परमोधर्म:

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

मुलाक़ात



फूल
मुरझा जाते हैं
खिलती तबस्सुम रहती है
बदलते रहते हैं प्याले
नशा कायम रहता है

जिस्मानी चाहत नहीं
न मयका यह सरुर है
मस्तमौला होनेको
ख़याल-ए-खुदा काफी है

देनेवाला देते रहता
आती
जाती है क़यामत
कम नहीं उमंग होती
कशिश बढती रहती है

तेरा है कमाल मालिक
देता सबको जिंदगी
बन्देकी क्या औकात है
तू फ़तेह देता रहता है

जिक्र तेरा क्या करूँ
मेरी जुबाँ है लड़खड़ाती
पहुँचता तुझतक तो हूँ
सब पीछेही रह जाता
है

कौन किससे मिलता है
यह होश किसको रहता है
कौन किसको क्या बताए
सिर्फ तूही रहता है


।।
यतोवाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसासह ।।