मंगलवार, 21 जून 2011

कामना



रामा
तेरे चरणोंकी
मैं धूल बनूँ यह दे वरदान


और नहीं कुछ मेरी कामना
तेरे पैरोंतले सम्मान

युगों युगोंतक पडा रहूँ मैं
चरणोंमें तेरे मेरा स्थान

तूही मेरा सद्भाग्य है रामा
मेरे ह्रदयमें तेरा ध्यान

रामा तूही मेरा जीवनधन
तुझपे न्योछावर मेरे प्राण

तुझसे पाऊँ खुशियाँ सारी
तू है मेरा आनंदनिधान

हे करुणार्णव दयामेघ तू
तू गंगाका स्त्रोत महान

पापविमोचक रामा मेरे
क्या मैं करूँ तेरा गुणगान

रामो हरि: