गुरुवार, 23 जून 2011

दरख्वास्त



यूँ झगड़ते क्यूँ हो बच्चों
लड़ाई किसी कामकी नहीं
नाजुक है दिलके रिश्तें
जबरदस्ती ठीक नहीं

किसकी ओर जाऊँ मैं
सभी मेरे प्यारे है
बहुत कठिन वक्त है यह
टूट रहा दिल मेरा है

सबका हूँ किसको ठुकराऊँ
अपनाओ इक दुजेको
नफरतसे कुछ हर्ज करो
दर्द दो मेरे दिलको

अकेला यूँ कबतक मैं रहूँ
दिलपे करो अहसान मेरे
खींचातानी बहुत हो चुकी
आओ गले मिलो मेरे