गुरुवार, 30 जून 2011

अहिल्या





मुँह नहीं मोडूँगी जगसे अब
सब कुछ मैं कर लूँगी भगवन
पावन मेरा हुवा है जीवन
ना छोडुँगी तेरा यह दामन

ऐसे तो हर इक रिश्तेमें
तेराही मुझको हुवा है दर्शन
मेरा नहीं कुछ कर्तब रामा
तूही मेरा करता संचालन

सब कुछ तुझसे मैंने है पाया
मूर्त रूप तू दया है भगवन
मुझपर असर है तेरा छाया
सबको देता तू तन मन धन

तेरी खुशीसे मैं खिल उठती
मेरी खुशीका तू है दर्पण
आँखोंमें मेरी तू मुस्काता
तुझसे सफल है मेरा जीवन

सारे सुखोंका उद्गम है तू
इस संसारका तू है कारण
सत्कर्मोंका तूही है फल
सब चाहते है तुझसे मीलन

तू परतत्व है रामा मेरे
जिसको पाकर शांत हुवे मन
तू परब्रह्म है रामा मेरे
तू शाश्वत स्वरूपका ज्ञान


सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यंबिके गौरी नारायणी नमोस्तुते

तत्त्वमसि