बुधवार, 28 सितंबर 2011

करिश्मा



मुझको जो खींचता है
तेरी ओर प्यारे भाई
अल्लाहका करिश्मा
है इश्क आसमानी

रिश्ता यह कौनसा है
मैं कह भी नहीं सकता
कुछ गहरी बात है यह
सागरसे कहे पानी

कितनी कहूँ मैं बातें
मेरी जुबाँ है फानी
नहीं ख़त्म होनेवाली
अल्लाहकी कहानी

वरना कहाँ किसीको
मिलता है वक्त इतना
मुड़कर भी कोई देखे
बड़ी मुझपे मेहेरबानी

करते है सब जो मुझपे
अहसान इतना ज्यादा
तुम सबपे
हो रहा है
कोई असर तिलिस्मानी