गुरुवार, 29 सितंबर 2011

सहारा



भाई
मेरी जिन्दगीका
तूही एक सहारा था
तेरे बगैर जिन्दगीमें
और कोई ना मेरा था

तू जो ऐसे बिफर गया
मैं तितर बितर हो गया
चाहकर भी समेट ना सकता
तूही तो बल मेरा था

घर संसारका मैं हूँ आसरा
और तू आसरा मेरा था
क्यों बिगड़ गया रामा मेरे
मैंने क्या तेरा बिगाड़ा था

अगर दया हो तुझमें बाकी
आके मुझे तू ले जा भाई
वरना ख़त्म हुवा समझूंगा
मेरा जो दाना पानी था

प्यार जहाँ नसीबमें नहीं
क्या जीना और क्या है कमाना
छोड़ दिया सब तुझपे मैंने
गुजरा हुवा कल तेरा था

आनेवाले कल की बातें
तूही सोच ले मेरे भाई
तूही रामा तूही सांई
क्षुद्र भक्त
मैं तेरा था