रविवार, 15 जनवरी 2012

रिश्ता


मेरे लाडले याद रख
 मेरे आँसु अनमोल है
रिश्ता टूट जानेपर
   ये मिलते नहीं कभी 
 

 तेरे नर्मदिल बर्तावका
जो तोहफा थे कभी
अपने गहरे रिश्तेका
जो इजहार थे कभी

इंसानमें खुदा दिखता है
तो ये उमड़ पड़ते है
बर्बरता और जुल्म के आगे
जो झुकते नहीं कभी

 तू नासमझ है प्यारे 
  कीमत ना समझा इनकी 
हँसी मजाक समझा तू
यूँ मैं रोता नहीं कभी

 तू रूहानी प्यार को
दिल्लगी समझा मेरी
हो सके तो ऐसी भूल
दुबारा ना करना कभी

बेटे गले लग जा मेरे 
  गिला शिकवा ना रहे कोई 
मुझ गरीबकी गलतीका
दिलपर बोझ ना ले कभी

 या अल्लाह परवरदिगार
हमेशा मेरे बच्चोंको
तमाम खुशियाँ नसीब हो
न दुखका साया पड़े कभी

वाकिफ हो तेरे रहमसे वो 
कहर न उनपर ढा कभी
पाऊं सजा मैं उनकी भी 
हो गलती गर उनसे कभी

 
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ॐ रुद्राय नम:
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तीळ गुळ घ्या आणि गोड बोला
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मकर संक्रांतीच्या हार्दिक शुभेच्छा
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हरि ॐ तत्सत् 
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