बुधवार, 25 जनवरी 2012

पंछी


राग द्वेष का क्या है कारण
क्यूँ चिंता तू करता मनवा
अब है अगले पल नाही
यह ढाई हाथ की काया 

जो मिलता वह सच है 
और ना मिले वह झूठी माया

राम नाम की पूँजी कमाई
और कुछ तेरी गठरीमें नाही
राम नाम ही सरपे तेरे 
कल्पवृक्ष की छाया

जो मिलता वह सच है
और ना मिले वह झूठी माया

मोक्ष डाल पर तेरा बसेरा
 पंछी तू आना जाना नाही 
सुखदुख के फल नाही खाया 
राम नाम तू पाया 

 जो मिलता वह सच है 
और ना मिले वह झूठी माया

*
हरि ॐ तत्सत 
*