गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

सजा


ऐसी बहुत माँएँ होती है जो अपने बच्चोंसे कलंकित काम करवाती है. उन बातोंमें आर्थिक भ्रष्टाचारसे लैंगिक अत्याचार तक कई बुरे काम शामिल होते हैं जो आदमीको लौकिक रूपमें प्रतिष्ठा, पैसा और पुरुषार्थ आदि तथाकथित अच्छी बातें दिलाती है. लेकिन ये सब गन्दी बातें सामाजिक गुनहगारीके रूपमें उभरती है जो वर्त्तमान वास्तव अब भी है और सदियोंसे चलती आ रही है. इन बातोंसे व्यक्तिगत और सामाजिक तौर पर बहुत बुरा असर होता है. 

ऐसी परिस्थितिमें ज्यादा नहीं बल्कि केवल एक ही बातपर गौर करना काफी होता है की जो बातें तुम दूसरों पर आजमाते हो क्या वही बात तुम अपने खुद के लिए या अपनी अजीज बच्चों पर आजमाना पसंद करोगे. जो सुख या दुख तुम अपने लिए चाहते हो वही दूसरोंके लिए भी चाहो. आपकी मंगल कामना औरोंमें सुधार भी ला सकती है और औरोंको भी सुख प्रदान कर सकती है.      

भगवत्कृपाके बिना ब्रह्मचर्य साधना करना कठिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन होता है इसलिए अत्यंत कठोर परिश्रमकी जरुरत होती है.कुकर्म करनेवाले अधम पातकी लोगोंको अपने गुनाहोंकी सजा भुगतनी पड़ती है. जो परमेश्वरको शरण आते नहीं वो क्षमा नहीं पाते. लेकिन जो पुरुष दुसरोंको क्षमा करते नहीं वो खुदभी अपने आपको क्षमा नहीं कर पाते.इसलिए कमसे कम खुदको क्षमा करके दुसरोंको भी क्षमा कर दो और भगवानकी शरण ले लो. वो हमें सही राह दिखाता है.