रविवार, 15 अप्रैल 2012

सांई कहे

 
रामा तेरे चरणयुगुल मेरे जीनेका सहारा है
इन चरणोंमें गुजर बसर हो और ना कोई आसरा है
 
तेरे लिये सब कष्ट सहूँ मैं यही कर्म अब मेरा है
तेरे लिये सब कुछ मैं गवाँ दूँ यही धर्म अब मेरा है
 
मैं इस लायक नहीं हूँ रामा तेरे काम कुछ मैं आऊँ
तू अपनाये रामा मुझको मैं तुझपे वारि जाऊँ
 
मैं तुझको सुख दे ना सकूँ तो माफ़ मुझे कर दे रामा
तू तो है अतुल बलशाली विकल गात्र मेरे रामा 
 
मरभी जाऊँ तो मैं लेकर पुनरजनम तुझको पाऊँ
तेरा काम चलताही रहे मैं मरकर तेरे काम आऊँ  

ॐ