रविवार, 26 सितंबर 2010

मैं बोल रहा हूँ







क्या तुम नहीं जानते
सारे बच्चे मेरे प्यारे है
चलाते हो मुकदमें कातिलों
जाहिल तुम अनाड़ी हो

राजपाटके लिए खून
पीते हो मेरे बच्चोंका
करते हो गुमराह उन्हें
तुम शैतानोंके गुलाम हो

सारी जगह यह मेरी है
और सारे बच्चे वारिस है
इनके लिये ही राम बना मैं
तुमही मेरे रावण हो

बार बार मैं इनके लिये ही
प्रेषित बनकर आया हूँ
इसा मुसा पैगम्बर हूँ
फिरभी झगड़ा लगाते हो

रूप मेरे आते जाते है
मैं तो हमेशा रहता हूँ
पैगम्बरके साथ मैं गुजरा
तुम क्यूँ ऐसा समझते हो

काम मेरा मैं छोड़ न दूँगा
सिखाउँगा मैं बच्चोंको
ग्यान उजागर होता रहेगा
तुम कालिखसे हारे हो

क्या हासिल करना चाहते हो
हवस तुम्हारी कितनी है
गुनहगार हो दुनियाके तुम
और शोहरत के मारे हो


मंगलवार, 21 सितंबर 2010

त्यौहार






माखनके संग मिलाके मिश्री
खायेंगे हम साथमें
राम और अल्लाह साथ रहेंगे
एकही आवासमें

इक दुजेको कुछ देनेका
मिला जो मौका आज है
यही हमारी ईद है
और दीपावलीभी आज है

निर्गुण हो या सगुण रूप हो
ईश्वर सबका एक है
विधि अलग है भक्ति एक है
सीनेमें विश्वास है

राम तेराही नाम है अल्लाह
ताकत है विश्वासमें
प्यार प्यारके गले मिलेगा
आस्था सबकी साँस में

पत्थरमें तू कागज़में तू
काबेमें कैलाशमें
रूप तेरा कण कणमें समाया
तुही बसा ब्रह्मांडमें

ॐ७८६

सोमवार, 20 सितंबर 2010

सलाह






जिस ऊँचे मक़ामपर

पहुँचाया है मालिक तूने
वहाँसे निचे आना नहीं चाहता
मायूस होना नहीं चाहता
हवसकी और शोहरत की
लपेटमें आना नहीं चाहता

जो तू दे रहा है
वह ख़ुशी इतनी हसीं है
कि दुनियादारीका सायाभी
उसपर दागनुमा लगता है

ऐ दुनियावालों मुझे माफ़ करो
यूँ तो मैं सबका भला चाहता हूँ
और हम सबकी खातिर
उस परवरदिगारसे दुवा माँगता हूँ
पर मैं इतना लालची और खुदगर्ज हूँ
कि मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता

मैं यह बात दावेके साथ
कहता हूँ कि
जो देनेवाला अल्लाह है
उसीको याद करो और
उसीका नाम लो
वह किसीको नाकाम नहीं करता
सबकी आरजू पूरी करता है


अल्लाह मालिक है



शनिवार, 18 सितंबर 2010

बन्दा





तुझे मेरे आँसुओंकी कसम
कभी ऐसा मत कहना अल्लाह
कि तू मेरा कोई नहीं है
तुझे पराया समझनेकी गलती
मैं नहीं कर सकता
और तू भी मेरा दिल तोडनेकी
बेरहमी मत करना

शायद
कुदरत मुझसे
खिलवाड़ करती है
जो मैं बंदगीसे बाज नहीं आता
और तू मेरी दखलही नहीं लेता
जैसे तेरे
जहाँमें मेरा
वजुदही नहीं है

मैं सचसे वाकिफ हूँ
ऐ अल्लाह तूही सच्चाई है
और मैं भी सचमें शामिल हूँ
बगैर अल्लाह्के बन्दा हो नहीं सकता
और बन्दा अल्लाह्से जुदा हो नहीं सकता

आखिर कुछ तो वजह बता
कि तू मुझसे खफा क्यूँ है
जो मेरी आवाज तुझतक पहुंचती नहीं
तेरी ख़ुशी हासिल करनेके लिए
बता मैं क्या करूँ

इतना अहसान तूने किया है अल्लाह
जो तेरा नाम मेरी जुबाँपर है
तेरी याद मेरे जहनमें है
और यह तेरी हिज्र का दर्द
जूनून बनकर मुझे बुला रहा है


सरिता सागरासी वाहेमिळोनी मिळतचि राहे
नित्य व्याकुळले विरहेमिलनसुख।।




गुरुवार, 2 सितंबर 2010

आँसु




तुमको
सीनेसे लगाकर रोना चाहता हूँ बहुत
वरना दिल पत्थर बनेंगे आरजू रह जायेगी
मौक़ा दे दो आँखोंसे इन आँसूओंको बरसनेका
जिंदगी बाकी रहेगी दिल्लगी बह जायेगी


दाग
दिलके क्यूँ छुपाऊँ सच उजागर होता है
आँखोंसे परदे हटे तो रोशनी रह जायेगी
सामना करके तो देखो आइनेसे तुम कभी
आइनेमें चाँद होगा जिंदगी खिल जायेगी


जान
लो यह बात बीती रातभी थी खुबसूरत
खुशबू आगे गुलशनोंमें बिखरती रह जायेगी
खुश रहो तुम इससे अच्छी बात दुनियामें नहीं
आँसुभी ये है खुशीके बाढ़ यूँ आती रहेगी



ईद मुबारक