सोमवार, 20 सितंबर 2010

सलाह






जिस ऊँचे मक़ामपर

पहुँचाया है मालिक तूने
वहाँसे निचे आना नहीं चाहता
मायूस होना नहीं चाहता
हवसकी और शोहरत की
लपेटमें आना नहीं चाहता

जो तू दे रहा है
वह ख़ुशी इतनी हसीं है
कि दुनियादारीका सायाभी
उसपर दागनुमा लगता है

ऐ दुनियावालों मुझे माफ़ करो
यूँ तो मैं सबका भला चाहता हूँ
और हम सबकी खातिर
उस परवरदिगारसे दुवा माँगता हूँ
पर मैं इतना लालची और खुदगर्ज हूँ
कि मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता

मैं यह बात दावेके साथ
कहता हूँ कि
जो देनेवाला अल्लाह है
उसीको याद करो और
उसीका नाम लो
वह किसीको नाकाम नहीं करता
सबकी आरजू पूरी करता है


अल्लाह मालिक है