गुरुवार, 2 सितंबर 2010

आँसु




तुमको
सीनेसे लगाकर रोना चाहता हूँ बहुत
वरना दिल पत्थर बनेंगे आरजू रह जायेगी
मौक़ा दे दो आँखोंसे इन आँसूओंको बरसनेका
जिंदगी बाकी रहेगी दिल्लगी बह जायेगी


दाग
दिलके क्यूँ छुपाऊँ सच उजागर होता है
आँखोंसे परदे हटे तो रोशनी रह जायेगी
सामना करके तो देखो आइनेसे तुम कभी
आइनेमें चाँद होगा जिंदगी खिल जायेगी


जान
लो यह बात बीती रातभी थी खुबसूरत
खुशबू आगे गुलशनोंमें बिखरती रह जायेगी
खुश रहो तुम इससे अच्छी बात दुनियामें नहीं
आँसुभी ये है खुशीके बाढ़ यूँ आती रहेगी



ईद मुबारक