पाने चला था मैं बुतमें इस खुदाको
बुत तो नहीं मिला , मुझे खुदा मिल गया
बुतखानेमें भीड थी गुजारिश करनेवालोंकी
लौट आया मैं, मुझे सबकुछ मिल गया
क्या करूँ अहले जहाँ, चाहत है इस दिलमें
चाहता था खुदाको, सारा जहाँ मिल गया
अब तो ऐसा आलम है, जिधर नजर जाती है
वहींपर मैं कहता हूँ, देखो खुदा मिल गया
ना जाने ऐसे क्यूँ दूरीयाँ बनाते हैं लोग
दीवारें गिरा दी और दिल मिल गया
अपनाओ सबको यारों, हम सभी तुम्हारे हैं
फिर बोलोगे कि सचमेंही खुदा मिल गया
ऐलान करता हूँ मैं खुदाके ऐ प्यारों
प्यारसेही तो मुझे यह खुदा मिल गया
और कोई जुबान मैं समझताही नहीं हूँ
बेइन्तहा प्यारको सबका प्यार मिल गया
सारा जहाँ हमारा, सबमें इसका विसाल है
कैसे छुपाओगे इसे, सबमें खुदा मिल गया
श्री रूक्मिणीपांडुरंग प्रसन्न
ॐ साईगुरवे नमः
।। सबका मालिक एक।।
खंडेराया मल्हारीमार्तंडा
कडेपठारच्या राजा
येळकोट येळकोट
जय मल्हार
सदानंदाचे चांगभले
आईराजा उदो उदो
देवा तू माझा व मी तुझा
सलाम सलाम सलाम
अल्हम्दुलिल्लाह
हरि ॐ तत्सत्
श्री गजानन महाराज प्रकटदिन