बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

सुहानी जिंदगी

ना मुझे बिजलीकी जरूरत है, ना टीव्हीकी ना मोबाईलकी ना पंखेकी ना फ्रिजकी.ना हमारे घरमें गैसका सिलेंडर है ना सूखी लकड़ीकी कमी है. मिट्टीके तेलका दिया है जो कभीकभार टिमटिमाता है. क्यों कि सूरज उगनेके साथ हम जगते हैं और सूरज डूबनेके साथ हम सो जाते हैं.दीवारें और जमीनकी गोबरसे लीपापोती होती है और छतके नामपर घासफूस डाली है. हमारे घरके आँगनमें गऊ, मुर्गीयाँ और कुछ कुत्ते हैं जो अपने आपमें मशगूल रहते हैं. मैं दिनमें दो बार जवारकी रोटी गुडके साथ दूधमें मसलके खाता हूँ और मेरे पास दो जोडी कपासकी खाकी चड्ढी और सफेद कमीज है जो मैं हमेशा पहनता हूँ. मैं बडेसे आँगनमें ऊँचे और घने पेड़की छाँवमें दिनभर मिट्टीमें खेलता हूँ और रातमें वहींपर चैनकी नींद सोता हूँ. दोपहरमें नहरकी रेतमेंसे रंगबिरंगे चमकीले चकमक पत्थर इकट्ठा करता हूँ. मैं हरहमेश बहुत ज्यादा खुश रहता हूँ क्यों कि जिंदगीमें किसीभी बातकी कमी नामकी कोई चीजही नहीं है. मैं कहाँ रहता हूँ यह तो मेरे खयालोंमेंभी नहीं है बस जिंदगी बहुत सुहानी है.