मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

प्यारे रामा



रामा अब यह जीवन तेरा
तू स्वामी मेरा
.
दुनियासे मैंने मुँह फेरा
तेरे बिना अब कोई न मेरा
एक तेराही सहारा
रामा तू स्वामी मेरा
.
जो कुछ करूँ तुझे है अर्पण
तेरेलिये मेरा तन मन धन
तुही सबसे प्यारा
रामा तू स्वामी मेरा
.
तू जो चाहे वोही मैं करूँ
तुझेही देखूँ तुझे निहारूँ
तूने मुझे सँवारा
रामा तू स्वामी मेरा
.
रामा तू मेरा है खजाना
तेरे नामका रस है पीना
तुझमें है सुख सारा
रामा तू स्वामी मेरा
.
पुढती अस्तवेना ऐसे । जया पाहले अद्वैतदिवसे ।
मग आपणपांचि आपण असे । अखंडित । ।
.

गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

Charta Sooraj ( Original n Full ) -Great Qwwali by Aziz Naza



Click on the above title and get sweet names of Allah. All of these names are applicable to God or Bhagavan Parabrhma { Shiva or Narayana } as well.
God is one.
Only discipline { karmakanda } differs, all of us worship the same God.We are one.
This song gives precious guideline for all of us.
The essence of this song is that we should not concentrate our attention on the material aspect of the world; instead of it, worship of the God is our prime necessity of life.
Merry Christmas
Happy New Year

रविवार, 19 दिसंबर 2010

इन्साफ



प्यारमें मश्गुल तेरे
मैं आया हूँ दहलीजपे
तू नहीं ठुकराएगा
दिलमें मेरे ऐतबार है

जिस्म मेरी खोखली है
नमाज करूँ ना करूँ
ऊँचे उन जजबातोंका
यह तो महज इजहार है

पाँचकी क्या बात है
हर वक्त तेरा साथ है
तेरे सिवाय कुछ और अब
आता नहीं जहनमें है

खुदाया मन्शा तेरी है
मैं दिलोंको जोड़ दूँ
मुझको इस काबिल समझता
यह तेरा इन्साफ है

तेरी खिदमत करूँ अल्लाह
और कुछ मैं ना करूँ
बंदगीही तेरी अब
इस जिन्दगीका फर्ज है
.
सुनके तानें लोगोंकी जब
चाहा कागज़ फाड़ दूँ
खुदानेही रोका उसपे
नाम जो खुदाका है

क्या करूँ मैं अब खुदाया

सह नहीं सकता हूँ मैं

क्या दिया यह काम मुझको

क्या रहम तेरा यह है

मेरी चाहत कुछ नहीं है

तू चलाता मैं चलूँ

तेरी है आवाज अल्लाह

क्या मेरी जुर्रत यह है

मैं बना मायूस जब तो

खुदानेही कहा मुझको

मैं हूँ लोगोंके लिये

ओर लोगभी ये मेरे है


७८६
हे विश्वची माझे घर । ऐसी मति जयाची स्थिर ।
किंबहुना चराचर । आपण झाला ।।

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

कैफियत


हाल ना जाने हमारा
क्यूँ खुदा तुझको कहें हम
और कोई है हमारा
तेरे सिवाय कह दे खुदा
.
दहशतोंके काले साये
मुल्कपर मँडराते हैं
घुमते सडकोंपे कातिल
खौफ छाया है खुदा
.
अपना कोई ना रहा
गैर सभी लगते हमें
दर्दे दिल किसको बताएँ
तूही कह दे ऐ खुदा

बेनामीमें जीते थे
मंजूर था अकेलापन
कमसे कम तू है हमारा
था भरोसा ऐ खुदा

क्या कहर हमने है ढाया
जुल्म क्या हमने किया
चाहा तुझको चाहेंगे हम
यूँ खफा मत हो खुदा

प्यारके प्यासे हैं हम
अल्लाह तू हम सबका है
हैं तेरे खिदमतगार हम
सबमें तू बसता खुदा
.
तू हमारा हम हैं तेरे
मालिक तेरे बन्दे हैं हम
इबादत कुबूल कर ले
चैनो अमन दे दे खुदा


७८६
ॐ श्री साईनाथाय नम:
.

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

अनकही



तू मजारमें है जो सोता

मेरी आँखोंसे तू रोता

बाबा ऐसा क्यूँ है होता

मेरा तुझसे क्या है रिश्ता

मुझको तू क्यूँ है बुलाता

पाना तो मैं कुछ न चाहता

तेरी ओर मैं खींचा आता

मुझको तो कुछ न समझता

मुझसे तू है क्या कराता

क्या जताता क्या बताता

मुझको मिलकर खुश तू होता

दुनियादारीको भुलाता

अनकही किसको मैं कहता

लफ्ज कैसे ढूंढ़ लाता

बिन सुने सबकुछ समझता

जिस्मसे ऊपर मैं उठता

कैसे तू करीब लाता

कोशिश मेरी नाकाम करता

तेरा असर मुझपे है छाता

मुझको तू अपना बनाता

खुदाभी मेरा हो जाता

मेरा वजूद बाकी न बचता

मैं खो जाता तुही रहता

रिवाजोंको तोड़ देता

सिर्फ इक मकसदको पाता

अल्लाह ईश्वर सबका दाता

मुझको तू उसमें मिलाता


मुहर्रम गीताजयंती

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

कुर्बानी


७८६

अहमियत मेरी नहीं है
बेटा तेरा राज है
तेरे सदके जान मेरी
तेरे सरपे ताज है

कामयाबी तेरी हो
मेरी खुदासे मिन्नतें
खुशियाँ तेरे पाँव चूमे
आरजू यह मेरी है

कुछभी मेरा हाल हो
तेरी दयापर जिंदगी
झोलीमें मुस्कान तेरी
डालता जा काफी है

तूही मेरी शान है
काबिलियत तुझसे मेरी
जीत ले हर बाजी रामा
जुस्तजू यह मेरी है

तू है सबकुछ मेरा रामा
तुझमें दिखता खुदा है
तुझको देखूँ उसको पाऊँ
चाहता अल्लाह यही है

खुश हूँ मैं तेरी खुशीमें
दावा मेरा यही है
प्यारमें सब पा लिया
कुर्बानी मेरी नहीं है



मंगलवार, 2 नवंबर 2010

दोस्त



बहुत गहरी बात है आवाज वह अन्दरकी थी

दिलकी नादानीको मेरे यूँही झुठलाना नहीं

प्यारकी परतोंके निचे जानका रिश्ता था वह
तड़पते दिलकी कशिश समझा तुम्हे सकता नहीं

दिलके तोड़े जानेके लाखों बहाने होते है
तुमने दिलको तोड़ा ऐसे बात अचरजकी नहीं

शिकवा गिला कोई नहीं होता है मुश्किल जोड़ना
नज़ाकतसे काम लेना दिल है यह पत्थर नहीं

तुम हमारे हम तुम्हारे दोस्ती महफूज है
वक्तने सबक दिया यह गलती दोहरानी नहीं

अल्लाहके करमसे हमको दोस्त कोई मिलता है
तरसना पड़ता है शायद याद तुमको कुछ नहीं

मैं तो मर चुका हूँ अब काफूर गमभी हो गया
मुँहपे मेरे ख़ाक है पर भूलना मुझको नहीं

मैं मिलूँ या ना मिलूँ यह मेरे हाथों में नहीं
प्यास मिलनेकी बहुत है पर इजाजत है नहीं

रामा




रामा
तुझ बिन कोई मेरा ना
हो रामा तुझ बिन कोई मेरा ना

तेरी कृपा बिन जग सब सूना
खुश होकर तू सब कुछ देना
पाकर तुझको धन्य मैं होना
तुझ बिन मैं कुछभी ना
हो रामा तुझ बिन कोई मेरा ना

रामा तेरा रूप सलोना
नाम तेराही मेरा खजाना
तू परब्रह्म है मुझमें बसा तू
तुझे जगतमें पाना
हो रामा तुझ बिन कोई मेरा ना

तू दाता वैराग्यभाग्यका
तूही दाता परमशान्तिका
तेरी ख़ुशीमें मैं खुश होना
तुझमें मेरा ठिकाना
हो रामा तुझ बिन कोई मेरा ना

रविवार, 24 अक्तूबर 2010

Begum Akhtar - Aye mohabat tere anjam pe rona aaya

हार



अल्लाह तूभी दिवारोंमें कैद हो गया
भगवान सलाखोंके पीछे है
हर किसी बेड़ेने अपना ठप्पा लगाया है
हर किसी खेमेका अपना अलग निशाँ है
किसीको खज़ाने की चिंता है
किसीको दीवारोंकी फिक्र है
और यह दीवाना गलियोंमें घूमता है
सोचते हुए की कभी तू सबका हुवा करता था
मुझे सबको कहना पड़ता है
की तू मुझमें भी है
ख़ैर मैंने बोलनाही छोड़ दिया है
क्यूँकी दुनिया न तो तुझे जानती है
न मुझे पहचानती है
मालिक, यह तो तेरी दया है
की मेरी जुबाँ इस काबिल है
जो तेरा नाम लेती है
और तू मेरे दिलो दिमाग में बैठ के
मेरे साथ आवारा घूम रहा है
बुतपरस्ती भी छोड़ दी मैंने
और न काबेकी तस्बीरोंको देखता हूँ
इस कदर मायूस किया है
मुझे इन दुनियावालोने
ऐ खुदा, मैं खुदसे भी हार गया हूँ
मेरा वजूदही क्या है
लेकिन तुझपर भरोसा है
या परवरदिगार तुझसे
मैंने मुहोब्बत की है
जिंदगी हारती नहीं
बंदगी हारती नहीं
मैं हार भी जाऊँ लेकिन
मुहोब्बत हारती नहीं


सोमवार, 18 अक्तूबर 2010

साथ




मेरी इच्छा कुछ नहीं रामा
तेरी मर्जी प्यारी मुझको

तूही देह है तूही चेतना
तेरे हाथों सौंपा खुदको

सुखदुख सबकुछ तू पायेगा
तेरा है अर्पण किया है तुझको

तूही हमेशा दिखे हर तरफ
ऐसी दृष्टि दे तू मुझको

और तमन्ना कुछ नहीं मेरी
रखे हमेशा साथ तू मुझको

सबकुछ त्यागके तेरी कृपासे
मिला मोक्षधन अब यह मुझको

रामनामका बजाऊँ डंका
रामबिना सुध हो न किसीको

मैं भी राम हूँ तू भी राम है
सभी राम है बताऊँ सबको

सकल चराचर तू है रामा
रामही मिलता रहे रामको


रविवार, 17 अक्तूबर 2010

दशहरा


भगवान,
इन्द्रियजन्य सुखोंकी कामना मैं नहीं करता
ऐसे सुख मुझे लालसामें बाँध लेते हैं
मैं उनके पीछे बेबस होकर खींचता जाता हूँ
मैं उनका गुलाम होकर उन्हें पानेके लिए
उलटे सीधे उद्योग करता रहता हूँ

वास्तविक सुख तो तेरे स्मरणमें है।
जो मन को शान्ति प्रदान करता है
बेवजह बड़े बड़े काम करते रहना सुखप्रद नहीं
अत्यधिक सुख पानेकी आकांक्षा रखना सुखप्रद नहीं।

मन की शान्ति सच्चा सुख है
जिससे इंसान इधर उधर भटकता नहीं
ऐसा स्थिर मन जब तेरे चरणोंमें आता है,
तब अहंकार आदिके सारे बोझ हट जाते हैं
मन फूल समान कोमल और हल्का हो जाता है

हे सर्वान्तर्यामी, सर्वव्यापक रामा,
यही मेरा दशहरा है
मैं दसों इन्द्रियोंकी गुलामीसे आजाद हो गया हूँ
मेरा अहंकार रूपी रावण मर गया है
कुण्डलिनी सीताशक्ती जो इस देहमें कैद थी,
वह सहस्त्रार कमलको लांघकर
विश्वव्यापक
रामपरमात्मासे मिल गयी है
मैं धन्य हो गया प्रभो
।। जय श्रीराम ।।



गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

चाकर





दीन हूँ मैं तू दीनदयाला

तू मालिक है मेरा हो रामा
चाकर
मैं तेरा

सेवा तेरी तू करवाता
बल नहीं है मेरा हो रामा
चाकर मैं तेरा

विश्वव्यापी मेरे परमात्मा
यह कायाभी तेरी हो रामा
चाकर मैं तेरा

मैं संकल्प नहीं कुछ करता
तेरी इच्छा प्यारी हो रामा
चाकर मैं तेरा

मैं नहीं रामा तू सब करता
तेरा खेल है सारा हो रामा
चाकर मैं तेरा

तेरी कृपासे बोझ गया सब
तू मेरा है सहारा हो रामा
चाकर मैं तेरा

तेरी धुनमें सब जग छूटा
तू सबकुछ है मेरा हो रामा
चाकर मैं तेरा

सब कर्मोंका फल तू खुद है
अहंकार चरणोमें हो रामा
चाकर मैं तेरा

रहूँ हमेशा साथ मैं तेरे
मुझे दे यह वरदान हो रामा
चाकर मैं तेरा




रविवार, 26 सितंबर 2010

मैं बोल रहा हूँ







क्या तुम नहीं जानते
सारे बच्चे मेरे प्यारे है
चलाते हो मुकदमें कातिलों
जाहिल तुम अनाड़ी हो

राजपाटके लिए खून
पीते हो मेरे बच्चोंका
करते हो गुमराह उन्हें
तुम शैतानोंके गुलाम हो

सारी जगह यह मेरी है
और सारे बच्चे वारिस है
इनके लिये ही राम बना मैं
तुमही मेरे रावण हो

बार बार मैं इनके लिये ही
प्रेषित बनकर आया हूँ
इसा मुसा पैगम्बर हूँ
फिरभी झगड़ा लगाते हो

रूप मेरे आते जाते है
मैं तो हमेशा रहता हूँ
पैगम्बरके साथ मैं गुजरा
तुम क्यूँ ऐसा समझते हो

काम मेरा मैं छोड़ न दूँगा
सिखाउँगा मैं बच्चोंको
ग्यान उजागर होता रहेगा
तुम कालिखसे हारे हो

क्या हासिल करना चाहते हो
हवस तुम्हारी कितनी है
गुनहगार हो दुनियाके तुम
और शोहरत के मारे हो


मंगलवार, 21 सितंबर 2010

त्यौहार






माखनके संग मिलाके मिश्री
खायेंगे हम साथमें
राम और अल्लाह साथ रहेंगे
एकही आवासमें

इक दुजेको कुछ देनेका
मिला जो मौका आज है
यही हमारी ईद है
और दीपावलीभी आज है

निर्गुण हो या सगुण रूप हो
ईश्वर सबका एक है
विधि अलग है भक्ति एक है
सीनेमें विश्वास है

राम तेराही नाम है अल्लाह
ताकत है विश्वासमें
प्यार प्यारके गले मिलेगा
आस्था सबकी साँस में

पत्थरमें तू कागज़में तू
काबेमें कैलाशमें
रूप तेरा कण कणमें समाया
तुही बसा ब्रह्मांडमें

ॐ७८६

सोमवार, 20 सितंबर 2010

सलाह






जिस ऊँचे मक़ामपर

पहुँचाया है मालिक तूने
वहाँसे निचे आना नहीं चाहता
मायूस होना नहीं चाहता
हवसकी और शोहरत की
लपेटमें आना नहीं चाहता

जो तू दे रहा है
वह ख़ुशी इतनी हसीं है
कि दुनियादारीका सायाभी
उसपर दागनुमा लगता है

ऐ दुनियावालों मुझे माफ़ करो
यूँ तो मैं सबका भला चाहता हूँ
और हम सबकी खातिर
उस परवरदिगारसे दुवा माँगता हूँ
पर मैं इतना लालची और खुदगर्ज हूँ
कि मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता

मैं यह बात दावेके साथ
कहता हूँ कि
जो देनेवाला अल्लाह है
उसीको याद करो और
उसीका नाम लो
वह किसीको नाकाम नहीं करता
सबकी आरजू पूरी करता है


अल्लाह मालिक है



शनिवार, 18 सितंबर 2010

बन्दा





तुझे मेरे आँसुओंकी कसम
कभी ऐसा मत कहना अल्लाह
कि तू मेरा कोई नहीं है
तुझे पराया समझनेकी गलती
मैं नहीं कर सकता
और तू भी मेरा दिल तोडनेकी
बेरहमी मत करना

शायद
कुदरत मुझसे
खिलवाड़ करती है
जो मैं बंदगीसे बाज नहीं आता
और तू मेरी दखलही नहीं लेता
जैसे तेरे
जहाँमें मेरा
वजुदही नहीं है

मैं सचसे वाकिफ हूँ
ऐ अल्लाह तूही सच्चाई है
और मैं भी सचमें शामिल हूँ
बगैर अल्लाह्के बन्दा हो नहीं सकता
और बन्दा अल्लाह्से जुदा हो नहीं सकता

आखिर कुछ तो वजह बता
कि तू मुझसे खफा क्यूँ है
जो मेरी आवाज तुझतक पहुंचती नहीं
तेरी ख़ुशी हासिल करनेके लिए
बता मैं क्या करूँ

इतना अहसान तूने किया है अल्लाह
जो तेरा नाम मेरी जुबाँपर है
तेरी याद मेरे जहनमें है
और यह तेरी हिज्र का दर्द
जूनून बनकर मुझे बुला रहा है


सरिता सागरासी वाहेमिळोनी मिळतचि राहे
नित्य व्याकुळले विरहेमिलनसुख।।




गुरुवार, 2 सितंबर 2010

आँसु




तुमको
सीनेसे लगाकर रोना चाहता हूँ बहुत
वरना दिल पत्थर बनेंगे आरजू रह जायेगी
मौक़ा दे दो आँखोंसे इन आँसूओंको बरसनेका
जिंदगी बाकी रहेगी दिल्लगी बह जायेगी


दाग
दिलके क्यूँ छुपाऊँ सच उजागर होता है
आँखोंसे परदे हटे तो रोशनी रह जायेगी
सामना करके तो देखो आइनेसे तुम कभी
आइनेमें चाँद होगा जिंदगी खिल जायेगी


जान
लो यह बात बीती रातभी थी खुबसूरत
खुशबू आगे गुलशनोंमें बिखरती रह जायेगी
खुश रहो तुम इससे अच्छी बात दुनियामें नहीं
आँसुभी ये है खुशीके बाढ़ यूँ आती रहेगी



ईद मुबारक

शनिवार, 21 अगस्त 2010

खुदाके करीब



खुदा
जब मैं बस्तियोंकी चहलकदमीसे दूर
बंजर टीलोंके बिच दुनियासे मुँह मोड़कर
तेरे खयालमें खोया रहता हूँ
तब मेरे ज़हनमें किसी इंसानका
किसी कामकाजका या सुखदुखका
कोई ख़याल नहीं होता
किसी बातकी चाहत होती है
किसी बातपर गुस्सा होता है
मेरा मन तराशे हुए हिरेके जैसा
साफ़ होता है
किसीभी तरहकी गंदगीका
अहसास तक नहीं होता
आसपास उजड़े हुए टीले होते है
सारे आसमानमें छाया हुआ
तू रहता है
और तेरी शानका असर
मुझपर उतरता रहता है
जन्नत मेरे करीब आती है
और मैं तेरे लफ्ज़ सुनने लगता हूँ
इस नायाब माहौलसे
निकलना नहीं चाहता मैं
लेकिन जिस्मके होशमें आना पड़ता है
और वापस इस दीनोदुनियाकी
नापाक जंगका हिस्सा बनाना पड़ता है


गुरुरित्याख्यया लोके साक्षा विद्याहि शांकरी
जयत्याज्ञा नमस्तस्यै दयार्द्रायै निरंतरम

रविवार, 15 अगस्त 2010

माँ


अल्फाज रुकते नहीं हैं
सचको ज़ाहिर करते हैं
प्यार नहीं पैसा नहीं
बस थोडासा अनाज है

बच्चे कहते मत रो माँ
हम खुश हैं तू देख रही ना
आज़ादी हम मना रहे हैं
तू क्यूँ नाराज दिखती हैं माँ

पता नहीं ये बच्चे इतने
खुश कैसे रहते हैं
शादीकी उम्र बीत गई
साथीकी तलाश करते हैं

जिंदगीके मायने बदल गए
ज़िंदा रहनाही जिंदगी हैं
बच्चे हँसते रहते हैं
माँ बेकारकी रोती हैं

मुश्किलोंके हौसले बुलंद हैं
पर जिंदगी यूँही चलती है 
हमारा जोश जवाँ है
अब तो एक बार हँस दे माँ 


सोमवार, 2 अगस्त 2010

तू मेरा है



तूही मेरा जीवन है भगवन
जाने क्यूँ अनजान बना है
रामा तूही मेरा सहारा
मुझे डूबता क्यूँ छोड़ा है

तेरी खुशीसे मैं खिलता हूँ
तू रूठे तो मुरझाता हूँ
पीठ फेर ली मुझसे तूने
तो मैं पागल हो जाता हूँ

मेरा घर संसार चलाता
तूही मेरा स्वामी है दाता
क्यूँ तू मुझसे दूर है रहता
तू तो है सबको अपनाता

अपना बना ले मुझे बचा ले
कितना मुझको तड़पाता है
मैं तेरा हूँ कुछ तो दया कर
तू मेरा है तू मेरा है

बुधवार, 21 जुलाई 2010

वह मैं हूँ



आँखें मूँदकर अपने भीतर
खुदको देखो वह मैं हूँ
जिसके कारण जग उजियारा
आँखोंका तारा वह मैं हूँ

कभीभी खुदको हीन न समझो
सबका प्यारा वह मैं हूँ
साथ तुम्हारे रहूँ हमेशा
मिलता रहता वह मैं हूँ

कहींभी देखो कभीभी देखो
संग तुम्हारे वह मैं हूँ
जिसकी अमानत जिसका खजाना
तुम हो प्यारे वह मैं हूँ

सबको बताओ जो ना समझे
प्यारका प्यासा वह मैं हूँ
प्यार बिना बेकार है जीना
सबकी जरुरत वह मैं हूँ

ख़ुशी खोजते जहाँ पहुँचते
धर्म सभीके वह मैं हूँ
सभीका ईश्वर सभीका अल्लाह
गॉड सभीका वह मैं हूँ

बैरी



साथ छोड़ दे अपना
मेरा तन बैरी
चंचल भटका जाए
मेरा मन बैरी
दिलकी बात न समझे
मेरा जग बैरी
कैसे मिलन हो परमात्मासे
समझ न पाऊँ मैं बैरी
कुछ तो करो उपाय सतगुरु
तुम ना बैरी सब बैरी
सबको छोडके रंक बना अब
तुम भी तो ना बनो बैरी

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

बिदाई





सामने बैठे रहो
तनहाईयोंका गम हो
इतना मुझको याद हो
कि मैं भी इक इन्सान हूँ

घिरके आये काले बादल
है चिरागोंमें अँधेरा
जा रही है जान मेरी
रोको ना बस थाम लो

हल्के हल्के छूटता अब
हाथोंसे यह हाथ है
कुछ तसल्ली मिल रही है
आँसुओंको बहने दो

है किये कुबूल मैंने
जो गुनाह किये नहीं
साथ अपने बोझ लेकर
जाना मैं चाहता नहीं

पाक है आँसू तुम्हारे
मुझको जन्नत दे रहे
वरना मेरी जिन्दगीका
फ़ायदा कुछ था नहीं

मेरे जिगरका टुकडा तू
कुर्बान तुझपर जान है
सबकुछ मैं न्योछावर करूँ
तुझपर वो फिरभी कमही है

आने जाने वाली बातें
झूठ है सारी कमाई
दो जहाँकी सल्तनत
बेटा तेरा यह प्यार है

प्यार ही सबसे अहम है
गौर कर इस बातपे
यही तेरा धन है बेटा
बाकी सब बेकार है

गलत ना बेटा समझना
जानेवालेकी दुवा
तहे दिलसे चाहता हूँ
तू हमेशा खुश रहे

अल्लाहके दरबारमें
ऊँचा तेरा मकाम हो
जानता तू है नहीं
नायाब तेरा काम है

रविवार, 27 जून 2010

"Tu Pyar Ka Saagar Hai" - Hindi Bhazan

गुरुरित्याख्यया लोके साक्षात् विद्याहि शांकरी
जयत्याज्ञा नमस्तस्यै दयार्द्रायै निरंतरम्

रविवार, 20 जून 2010

Ghanu waje - Sant Dnyaneshwar abhang - Lata Mangeshkar






अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो ।
विभुर्व्याप्य
सर्वत्र सर्वेंद्रियाणाम् ।सदा मे समत्वं मुक्तिर्न बन्ध:
चिदानंदरूप:
शिवोऽहम् शिवोऽहम्

ॐ परिसोनी परिसावे ॐ
माझ्याकडे सर्व सुखसाधने उपलब्ध असुनही
परमेश्वरप्राप्ति वाचून ती सर्व मला निरुपयोगी आहेत

ज्याप्रमाणे नदी सागराला मिळाली असुनही
तिची सागरालाच मिळण्याची उत्कंठा सततच तीव्र राहते

किंवा एखाद्याला जीवन मिळाले असुनही
त्याची जीवनाबद्दलची उत्कंठा सततच तीव्र राहते ,
जिवंत राहण्याची आसक्ती मरत नाही

त्याचप्रमाणे मला परमेश्वरप्राप्ति होउनसुद्धा
माझी परमेश्वरप्राप्तिची उत्कंठा अजुनही तीव्र आहे

खरे पाहता त्या परमेश्वराने
मला अशा अवस्थेत पोहोचविले आहे
कि मला सर्वत्र तो एक परमेश्वरच दिसतो


इतकेच काय मला स्वत:ऐवजी
आरशात सुद्धा तो परमेश्वरच दिसतो

माझ्या परमेश्वर स्वरुपाचे ज्ञान मला आहे

ही त्या भवतारक , देवकीनंदन ,रुक्मिणीपति ,
परमपिता श्रीकृष्णाची कृपा आहे